भगवान इस अवतार को यज्ञावतार व संतोष का अवतार माना जाता है। वर जिसका मतलब होता है श्रेष्ठ और अह जिसका मतलब होता है दिवस इन दोनों शब्दों को मिलाकर ही बना है वराह। परन्तु फिर प्रश्न आता है आखिर दिवस श्रेष्ठ कौन है ? तो गुरु भगवान कहते है की जिस किसी भी दिन हमारे हाथ से कोई अच्छा कर्म होता है तो वही दिन दिवस श्रेष्ठ है, लेकिन इसके बाद सवाल ये आता है की अच्छा कर्म क्या है तो फिर गुरु भगवान कहते है की जिस कर्म से हमारे प्रभु को प्रसन्नता मिलती है उसकी अच्छे कर्म यह सत्कर्म कहते है।और ऐसी सत्कर्म को ही यज्ञ कहते है।

Categories: Blog

0 Comments

Leave a Reply

Avatar placeholder

Your email address will not be published. Required fields are marked *