Bhagwat Katha Day 2

भगवान इस अवतार को यज्ञावतार व संतोष का अवतार माना जाता है। वर जिसका मतलब होता है श्रेष्ठ और अह जिसका मतलब होता है दिवस इन दोनों शब्दों को मिलाकर ही बना है वराह। परन्तु फिर प्रश्न आता है आखिर दिवस श्रेष्ठ कौन है ? तो गुरु भगवान कहते है की जिस किसी भी दिन हमारे हाथ से कोई अच्छा कर्म होता है तो वही दिन दिवस श्रेष्ठ है, लेकिन इसके बाद सवाल ये आता Read more…

Bhagwat Katha Day 1

तुंगभंगा नदी के किनारे के एक गांव था वहां पर आत्म देव नाम का एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी धुंधली रहती थी आत्म देव तो सज्जन था लेकिन उसकी पत्नी दुष्ट प्रवृति की थी। आत्म देव बहुत उदास रहता था क्योंकि उसको कोई संतान नहीं हो रहा था। और बहुत बार उसने आत्महत्या करने की भी कोशिश किया लेकिन सफल नहीं  हो पाया, लेकिन एक दिन हताश होकर जंगल की तरफ आत्महत्या करने निकल गए Read more…

Bhagwat Katha Day 6

https://www.youtube.com/watch?v=b8dyW-EQMB0 श्री भगवान कहतेहैं– सुमुखि ! अब मैंछठे अध्याय का माहात्म्य बतलाता ह ूँ, जिसेसुननेवाले मनुष्योंके ललए मुजतत करतलगत हो िाती है| गोदावरी नदी के तट पर प्रततष्ठानपुर (पैठण) नामक एक ववशालनगर है, िहाूँमैंवपप्लेश के नाम से ववख्यात होकर रहता ह ूँ | उस नगर में िानश्रुतत नामक एक रािारहते थे, िो भ मण्डल की प्रिा को अत्मयन्त वप्रये थे | उनका प्रताप माततण्ड-मण्डल के प्रचण्ड तेि केसमान िान पड़ता था |